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दुनिया में गोला-बारूद की भारी कमी: भारत बना नया ‘एम्युनिशन सुपरपावर’

दुनिया में गोला-बारूद की भारी कमी भारत बना नया 'एम्युनिशन सुपरपावर'
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आज जब दुनिया तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी और अत्याधुनिक हथियारों की ओर बढ़ रही है, तब एक पारंपरिक हथियार की मांग इतनी बढ़ गई है कि बड़े-बड़े देशों में इसकी कमी हो गई है। हां, हम बात कर रहे हैं गोला-बारूद यानी एम्युनिशन की, जो 2024 में दुनिया के सबसे डिमांडिंग और कमी वाले हथियार के रूप में उभर कर सामने आया है। इस समय विश्व में कई देशों के पास आधुनिक फाइटर जेट्स, टैंक, और मिसाइल सिस्टम्स की भरमार है, लेकिन उन्हें चाहिए तो सिर्फ और सिर्फ गोला-बारूद, जिसकी इस समय भारी कमी हो गई है।

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दुनिया भर में गोला-बारूद की कमी

इस समय दुनिया के कई देशों के पास आवश्यक एम्युनिशन की कमी है। अमेरिका जैसे देश, जो आधुनिक युद्ध सामग्री से भरे हुए हैं, उनके पास भी गोला-बारूद की भारी कमी है। यूरोपीय देशों का भी यही हाल है। वहीं, रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में दोनों देशों की सेनाएं एम्युनिशन की कमी से जूझ रही हैं। दोनों देशों के सैनिक अपने-अपने नेताओं से मांग कर रहे हैं कि किसी भी तरह से उन्हें गोला-बारूद उपलब्ध कराया जाए, क्योंकि इसके बिना युद्ध में आगे टिके रहना मुश्किल हो रहा है।

दुनिया में गोला-बारूद की भारी कमी भारत बना नया 'एम्युनिशन सुपरपावर'

दुनिया भर में हो रहे युद्ध और एम्युनिशन की बढ़ती मांग

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे संघर्षों के कारण गोला-बारूद की मांग तेजी से बढ़ी है। चाहे वह रूस-यूक्रेन युद्ध हो या फिर इज़राइल और हमास के बीच संघर्ष, सभी जगह बड़ी संख्या में एम्युनिशन का उपयोग हो रहा है। अफ्रीका के महाद्वीप में चल रहे छोटे-बड़े युद्धों में भी बड़ी मात्रा में गोला-बारूद की खपत हो रही है। यहां तक कि हर हफ्ते लाखों की संख्या में गोला-बारूद का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे इसकी मांग बढ़ती जा रही है।

भारत बना एम्युनिशन का सुपरपावर

इस समय जब पश्चिमी देश एम्युनिशन की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं भारत इस मामले में सबसे आगे निकल चुका है। भारतीय सेना के पास सबसे अधिक मात्रा में एम्युनिशन उपलब्ध है, और भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा एम्युनिशन निर्यातक देश बन चुका है। यहां तक कि रूस-यूक्रेन युद्ध में भी भारत का एम्युनिशन इस्तेमाल हो रहा है। भले ही भारत इन दोनों देशों को सीधे तौर पर एम्युनिशन न बेच रहा हो, लेकिन इनडायरेक्ट रूप से भारतीय एम्युनिशन का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, रिपोर्ट्स के मुताबिक, इज़राइल की सेना भी भारतीय एम्युनिशन का उपयोग कर रही है।

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आने वाले समय में भारत की भूमिका

जैसे-जैसे रूस-यूक्रेन और इज़राइल-हमास के बीच संघर्ष बढ़ता जाएगा, वैसे-वैसे एम्युनिशन की मांग और भी अधिक बढ़ेगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले 6 महीनों में अमेरिका और पश्चिमी देशों की सेनाओं में एम्युनिशन की कमी इतनी ज्यादा हो जाएगी कि उन्हें भारत से इसे खरीदना ही पड़ेगा। इस प्रकार, आने वाले समय में भारत अरबों डॉलर के एम्युनिशन का निर्यात करेगा।

भारत की रणनीति और भविष्य की संभावनाएं

भारत ने अब उस नीति पर अमल करना शुरू कर दिया है, जो रूस और अमेरिका लंबे समय से कर रहे हैं—युद्ध से मुनाफा कमाना। जबकि भारत के पास अमेरिका, रूस और चीन जैसे अत्याधुनिक हथियार नहीं हैं, लेकिन भारत ने जो किया है, वह अत्यधिक प्रभावशाली है। भारत ने अपनी एम्युनिशन निर्माण क्षमता को बढ़ाकर उसे वैश्विक स्तर पर पेश किया है। इससे भारत ने न केवल आर्थिक लाभ कमाया है, बल्कि अपने लिए एक मजबूत रणनीतिक स्थिति भी बना ली है।

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गोला-बारूद की वैश्विक मांग ने भारत को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। जबकि आधुनिक युद्ध सामग्री का उत्पादन और निर्यात करना मुश्किल हो सकता है, भारत ने अपनी ताकत को पहचानते हुए एम्युनिशन के उत्पादन और निर्यात में महारत हासिल की है। आने वाले समय में, भारत की इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका और भी मजबूत होगी, जिससे भारत न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि रणनीतिक रूप से भी लाभान्वित होगा। भारत का यह कदम उसे न केवल एक वैश्विक एम्युनिशन सुपरपावर बना रहा है, बल्कि विश्व मंच पर उसकी ताकत और प्रभाव को भी बढ़ा रहा है।

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