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Supreme Court ने Kanwar Yatra नेम प्लेट वाले Yogi government के आदेश पर लगाई रोक

कांवड़ यात्रा विवाद सुप्रीम कोर्ट ने नाम लिखने के योगी सरकार के आदेश पर लगाई रोक!
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की Yogi government को सोमवार को Supreme Court से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने Kanwar Yatra के रूट पर दुकानदारों को नेम प्लेट लगाने के Yogi government के आदेश के अमल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि प्रशासन द्वारा जारी यह निर्देश दुकानदारों के लिए बाध्यकारी नहीं हो सकता।

Supreme Court का आदेश

Supreme Court के आदेश के अनुसार, दुकानदारों को अपने नाम लिखने की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि दुकानदार केवल अपने खाने के प्रकार को लिख सकते हैं, नाम लिखना अनिवार्य नहीं है। इस निर्णय ने Yogi government के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें Kanwar Yatra के रूट पर आने वाली दुकानों के मालिकों को अपना नाम लिखना अनिवार्य किया गया था।

याचिकाकर्ताओं का पक्ष

Supreme Court में याचिकाएं दाखिल कर उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि यह आदेश अल्पसंख्यकों और दलितों को अलग-थलग करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय अन्य राज्यों में भी लागू हो सकता है, जो समाज में विभाजन को बढ़ावा देगा।

कांवड़ यात्रा विवाद सुप्रीम कोर्ट ने नाम लिखने के योगी सरकार के आदेश पर लगाई रोक!

महुआ मोइत्रा और अभिषेक मनु सिंघवी का पक्ष

इस याचिका में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा भी शामिल थीं। उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह आदेश स्वैच्छिक नहीं, बल्कि अनिवार्य है। सिंघवी ने कहा कि पुलिस को ऐसा करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है और यह आदेश दुकानदारों की आजीविका को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने तर्क दिया कि दुकानदार और उनके स्टाफ के नाम लिखना “Exclusion By Identity” है।

पुलिस के अधिकार पर सवाल

सिंघवी ने कहा कि यह आदेश दुकानदारों पर अत्याचार है और यह उनके व्यापार को बंद करने के समान है। जस्टिस भट्टी ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन ने यह आदेश जारी किया होगा। लेकिन सिंघवी ने कहा कि यह आदेश छुआछूत को बढ़ावा दे रहा है और यह समाज में विभाजन का कारण बन रहा है।

जजों की टिप्पणियाँ

जस्टिस भट्टी ने केरल के एक शहर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां दो प्रसिद्ध शाकाहारी रेस्टोरेंट हैं, एक हिंदू का और एक मुस्लिम का। उन्होंने कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से मुस्लिम के रेस्टोरेंट में जाना पसंद करते थे क्योंकि वहां सफाई अधिक नजर आती थी। इस पर सिंघवी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून भी केवल शाकाहारी-मांसाहारी और कैलोरी लिखने की बात करता है, न कि निर्माता कंपनी के मालिक का नाम।

आदेश की अगली सुनवाई

Supreme Court ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को निर्धारित की गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कांवड़ यात्रा 6 अगस्त को समाप्त हो जाएगी, इसलिए इस आदेश का एक भी दिन जारी रहना गलत है।

Kanwar Yatra और विवाद

Kanwar Yatra के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार से गंगा जल लेकर अपने-अपने गांव और शहरों में स्थित शिवलिंगों पर जल चढ़ाने के लिए जाते हैं। यह यात्रा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से होकर गुजरती है। इस दौरान दुकानदारों पर नेम प्लेट लगाने के आदेश को लेकर विवाद हुआ था।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

इस आदेश से न केवल दुकानदारों की आजीविका प्रभावित हो रही थी, बल्कि यह सामाजिक विभाजन को भी बढ़ावा दे रहा था। सिंघवी ने कहा कि यह आदेश दुकानदारों के नाम के आधार पर उन्हें अलग-थलग करने का प्रयास है। उन्होंने तर्क दिया कि यह आदेश अल्पसंख्यकों और दलितों को लक्षित कर रहा है और यह समाज में तनाव पैदा कर सकता है।

निचले स्तर पर प्रतिक्रियाएं

कई दुकानदारों ने इस आदेश का विरोध किया और कहा कि यह उनके व्यापार को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह आदेश उन्हें समाज में अलग-थलग करने का प्रयास है। कई दुकानदारों ने यह भी कहा कि वे पहले से ही आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं और इस आदेश से उनकी मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।

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Supreme Court के इस फैसले ने Yogi government के आदेश को न केवल चुनौती दी है, बल्कि इसे रोक भी दिया है। यह आदेश समाज में विभाजन को बढ़ावा देने वाला था और दुकानदारों की आजीविका को प्रभावित कर रहा था। कोर्ट का यह फैसला सामाजिक समरसता और आर्थिक सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

आने वाले दिनों में इस मामले की अगली सुनवाई होगी और यह देखा जाएगा कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश एक राहत के रूप में देखा जा रहा है, जो न केवल दुकानदारों के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है।

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