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Rameshwaram Cafe की सफलता की कहानी, छोटा कैफे बड़ा मुनाफा 4.5 Cr महीना

भारत के सबसे प्रसिद्ध छोटे कैफ़े Inside Story rameshwaram cafe
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कैफे की छोटी शुरुआत, बड़ी सफलता

2023 में दुनिया को पता चला कि इंडिया में एक छोटा सा 10 बाय 10 का कैफे, Rameshwaram Cafe, इडली और दोसा खिला करके महीने का 4.5 करोड़ रुपए कमा रहा है। इस खबर ने सबको चौंका दिया। इस कैफे के खर्च लाखों में होते हैं, फिर भी यह करोड़ों में मुनाफा कमा रहा है। आइए जानते हैं आसान भाषा में Rameshwaram Cafe की सफलता के पीछे का राज, कौनसी तीन छोटे-छोटे बातो का ध्यान रखकर यह कैफे सफलता की ऊँचाइयों को छू रहा है।

कैफे के पीछे की सोच और लोग

2021 में राघवेन्द्र राव और उनकी पत्नी दिव्या राघवेन्द्र रों ने इस छोटे से कैफ़े की शुरुवात की, उड़ान के को-फाउंडर सुजीत कुमार और जो इन्वेस्टर भी हैं रामेश्वर कैफ़े के उन्होंने अपने एक Interview के दौरान बताते निखिल कामथ से बात करते हुए इसकी चर्चा करते हैं। राघवेंद्र राव और दिव्या राघवेंद्र राव ने बैंगलुरु में अपने दो आउटलेट्स खोले। रामेश्वरम कैफे डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को समर्पित है। कैफे का शुरू से ही मुनाफा होना शुरू हो गया और ओ भी करोडो में |

साउथ इंडियन क्यूज़ीन का स्कोप

साउथ इंडिया में साउथ इंडियन क्यूज़ीन का स्कोप हमेशा से रहा है। चाहे कितने भी बड़े कंपटीटर्स क्यों न हों, जैसे विद्यार्थी भवन जो 80 साल से स्थापित है। फिर भी रामेश्वरम कैफे कैसे शुरू से ही प्रॉफिटेबल है, यह जानना दिलचस्प है।

कैसे हुआ सफल: Quick Service Restaurant Model

रामेश्वरम कैफे एक क्विक सर्विस रेस्टोरेंट मॉडल पर काम करता है। इसे स्थानीय भाषा में “दर्शनी” कहा जाता है, जिसका मतलब है कम कीमत, तेजी से सर्विस और कैजुअल माहौल में अधिक से अधिक वैल्यू देना। इस मॉडल से ज्यादा से ज्यादा भीड़ को आसानी से मैनेज किया जा सकता है, क्यूंकि इसमें आपको बैठा कर Service नही दी जाती, आप आइये खुद अपना आर्डर लेकर जाइये, और इसके चलते काफी समय का बचत होता हैं।

समय को टारगेट करना

रामेश्वरम कैफे ने लोगों के फ्री टाइम को टारगेट करने की बजाय उनके बिजी टाइम को टारगेट किया है। बैंगलुरु के इंदिरा नगर में स्थित यह कैफे सुबह 5:30 बजे से ही खुल जाता है। इसका मतलब है कि जो लोग सुबह काम पर जा रहे होते हैं, वे आसानी से यहाँ ब्रेकफास्ट कर सकते हैं। यह टाइमिंग उनके लिए बेहद फायदेमंद साबित हुई है।

लोकेशन का महत्व

रामेश्वरम कैफे की लोकेशन का भी इसमें बड़ा योगदान है। इसका पहला आउटलेट 12th मैन रोड पर है, जहां सुबह का ट्रैफिक बहुत होता है। यहां सुबह 10 बजे से खोलने पर कैफे को लगभग 55% वर्किंग कस्टमर से हाथ धोना पड़ सकता था, क्यूंकि अगर उनको रुक कर खाना पड़ेगा तो 2 घंटे पहले निकलना पड़ेगा घर से, और customer अपना समय यह रुक कर नही देने वाला हैं, क्यूंकि बेंगुलुरु में सभी professional लोग रहते है, जहा पे समय का बहुत महत्व हैं उनके लिए ।

सेल्फ-सर्विस मेथाडोलॉजी

रामेश्वरम कैफे में सेल्फ-सर्विस मेथाडोलॉजी का उपयोग किया गया है। कस्टमर अपना ऑर्डर खुद बुक कर सकते हैं, जिससे सर्विस क्विक और फ्लैक्सिबल रहती है।

सोशल मीडिया की ताकत

सोशल मीडिया का भी इसमें बड़ा योगदान है। लोग कैफे की वीडियो बनाकर उन्हें टैग करते हैं, जिससे कैफे की फ्री मार्केटिंग हो जाती है। इसके अलावा कैफे के अपने इंस्टाग्राम पेज से भी यह काफी पॉपुलर हुआ है।

फूड आइटम्स और रेसिपीज

रामेश्वरम कैफे में सिर्फ इडली और दोसा ही नहीं, बल्कि बिरयानी भी बहुत फेमस है, लेकिन सबसे ख़ास बात ये है की यह पे आप अपना आर्डर खुद से भी कंप्यूटर की मदद से कर सकते हैं, औ आपको इंतज़ार नही करना पड़ेगा। इनके पास अपनी कुछ खास रेसिपीज हैं, जो कस्टमर्स को बार-बार आने पर मजबूर करती हैं।

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रामेश्वरम कैफे की सफलता का राज उनकी टाइमिंग, लोकेशन, और क्विक सर्विस मॉडल में है। उन्होंने लोगों की जरूरतों को समझकर, सही समय पर सही जगह पर अपनी सर्विस देकर यह मुकाम हासिल किया है। उनका यह मॉडल अन्य छोटे कैफे के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।

आपकी बारी

अगर आप भी इस तरह का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो रामेश्वरम कैफे से सीखें। सही टाइमिंग, सही लोकेशन और क्विक सर्विस से आप भी अपने कैफे को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।

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