मोदी सरकार ने हाल ही में देश के सामने पेंशन सुधारों का एक महत्वपूर्ण कदम रखा है, जिसमें ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) और नई पेंशन स्कीम (NPS) के बीच एक नये विकल्प के रूप में यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को पेश किया गया है। यह योजना सरकारी कर्मचारियों को पुराने और नए पेंशन सिस्टम के बीच चुनाव करने का मौका देती है, जिससे पेंशन को लेकर चली आ रही कई वर्षों की असमंजसता को दूर करने का प्रयास किया गया है।
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ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) और नई पेंशन स्कीम (NPS) के बीच का अंतर
ओल्ड पेंशन स्कीम, जिसे OPS के नाम से जाना जाता है, एक निश्चित पेंशन प्रणाली थी, जिसमें कर्मचारी की अंतिम तनख्वाह के आधार पर पेंशन दी जाती थी। इसमें कर्मचारियों को अपनी तनख्वाह का कोई हिस्सा योगदान के रूप में जमा नहीं करना पड़ता था। यह पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्त पोषित होती थी, और इसमें पेंशन के रूप में अंतिम वेतन का 50% दिया जाता था। वहीं, नई पेंशन स्कीम (NPS) को 2004 में लागू किया गया था, जिसमें कर्मचारियों को अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा पेंशन खाते में जमा करना होता है और पेंशन की रकम बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर होती है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS): एक नया विकल्प
मोदी सरकार द्वारा पेश की गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS), एक ऐसा विकल्प है जो OPS और NPS के बेहतरीन पहलुओं को मिलाकर बनाई गई है। इस स्कीम में कर्मचारियों को न्यूनतम 25 साल की सेवा पूरी करने के बाद एश्योर्ड पेंशन का लाभ मिलेगा। हालांकि, इसमें पेंशन पाने के लिए सेवा की अवधि एक महत्वपूर्ण कारक बनी हुई है। इसके लिए कर्मचारियों को 35 वर्ष की उम्र तक सरकारी सेवा में शामिल होना आवश्यक होगा, ताकि वे 60 वर्ष की उम्र में पेंशन के लिए पात्र बन सकें।
यूपीएस में कर्मचारियों को उनके आखिरी 12 महीनों के औसत बेसिक पे का 50% एश्योर्ड पेंशन के रूप में दिया जाएगा। इसके अलावा, इस योजना में महंगाई भत्ता (डीए) का भी प्रावधान किया गया है, जिससे समय के साथ पेंशन की क्रय शक्ति में कमी नहीं आएगी और महंगाई के अनुरूप उसमें वृद्धि होती रहेगी।
समान्य वर्ग और आरक्षित वर्ग के लिए UPS में प्रावधान
यूपीएस के तहत कर्मचारियों के लिए उम्र की सीमा का मुद्दा काफी महत्वपूर्ण है। सामान्य वर्ग के कर्मचारियों के लिए सरकारी सेवा में शामिल होने की उम्र सीमा 35 साल तक है, जबकि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए यह सीमा कई राज्यों में 40 साल तक है। ऐसे में आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को पेंशन का लाभ पाने में कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं, जबकि OPS में ऐसी कोई शर्त नहीं थी।
यूपीएस में ग्रेजुएटी और अतिरिक्त लाभ
यूनिफाइड पेंशन स्कीम में एक और महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है, जिसमें रिटायरमेंट पर कर्मचारियों को ग्रेजुएटी के साथ-साथ एक मुश्त रकम दी जाएगी। यह रकम कर्मचारी की सेवा अवधि के हर 6 महीने के बाद बेसिक पे और महंगाई भत्ते के 10वें हिस्से के आधार पर निर्धारित की जाएगी। इसके अलावा, अगर रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी पेंशन का 60% हिस्सा परिजनों को दिया जाएगा।
नई और पुरानी पेंशन स्कीम के बीच चयन का विकल्प
यूनिफाइड पेंशन स्कीम में सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि कर्मचारियों को मौजूदा नई पेंशन स्कीम (NPS) और यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के बीच चयन करने का विकल्प दिया जाएगा। इससे उन कर्मचारियों की असमंजसता खत्म हो जाएगी जो अब तक नई पेंशन स्कीम के तहत अपना योगदान दे रहे थे।
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यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को लेकर मोदी सरकार का यह कदम निश्चित रूप से पेंशन प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना एक संतुलित पेंशन व्यवस्था प्रदान करती है, जो ओल्ड पेंशन स्कीम की गारंटीकृत पेंशन और नई पेंशन स्कीम की आधुनिकता के बीच एक पुल का काम करती है। हालांकि, कुछ शर्तों और प्रावधानों के कारण, यह सभी कर्मचारियों के लिए समान रूप से लाभकारी नहीं हो सकती। लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि UPS ने पेंशन की बहस को एक नए आयाम पर पहुंचा दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इसे किस प्रकार से अपनाया जाता है।