भारतीय खेल जगत में एक बार फिर से गर्व की लहर दौड़ गई है। पेरिस ओलंपिक में Manu Bhaker ने भारत को पहला मेडल दिलाते हुए इतिहास रच दिया है। 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में उन्होंने ब्रोंज मेडल जीता और यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह पहली भारतीय महिला निशानेबाज बनीं। उनकी इस जीत ने न केवल भारत को गर्वित किया है, बल्कि एक बार फिर से साबित कर दिया है कि भारतीय महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।
Manu Bhaker की यात्रा
Manu Bhaker का जन्म 2002 में हरियाणा के जज्जर जिले में हुआ था। उनके खेल करियर की शुरुआत काफी छोटी उम्र में ही हो गई थी। बचपन में उन्होंने टेनिस और मुक्केबाजी में भी हाथ आजमाया, लेकिन अंततः शूटिंग में अपनी मंजिल पाई। महज 14 साल की उम्र में उन्होंने शूटिंग को करियर के रूप में चुना।
शुरुआती सफलता
साल 2017 में, मात्र 16 साल की उम्र में, मनु भाकर ने आईएसएसएफ विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतकर सभी को चौंका दिया। इसके बाद 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। इस उपलब्धि के साथ ही उन्होंने नया रिकॉर्ड भी बनाया।
पेरिस ओलंपिक में जीत
पेरिस ओलंपिक 2024 में, मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर रहते हुए ब्रोंज मेडल जीता। फाइनल में उन्होंने 221.7 का स्कोर हासिल किया, जो कि उनके करियर का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। यह उनका पहला ओलंपिक मेडल है, और इस जीत ने उन्हें भारत की सबसे सफल निशानेबाजों में शामिल कर दिया है।
कोच और प्रेरणा
मनु भाकर की कोच सुमा सिरूर भी पेरिस ओलंपिक में उनके साथ थीं। सुमा सिरूर ने 2004 के एथेंस ओलंपिक में वुमन शूटिंग इवेंट के फाइनल में जगह बनाई थी, लेकिन दुर्भाग्यवश मेडल नहीं जीत पाईं। सुमा सिरूर की प्रेरणा और मार्गदर्शन ने मनु को इस मुकाम तक पहुंचने में मदद की है।
कठिनाइयों का सामना
टोक्यो ओलंपिक 2021 में मनु भाकर को असफलता का सामना करना पड़ा था। उनकी पिस्टल ने धोखा दिया और वे मेडल से चूक गईं। लेकिन इस असफलता ने उन्हें और मजबूत बना दिया। मनु भाकर ने हार मानने की बजाय कड़ी मेहनत की और पेरिस ओलंपिक में ब्रोंज मेडल जीतकर अपनी दृढ़ता का प्रमाण दिया।
व्यक्तिगत जीवन
Manu Bhaker का व्यक्तिगत जीवन भी प्रेरणादायक है। उनके पिता ने हमेशा उनका समर्थन किया और शूटिंग पिस्टल खरीदने के उनके अनुरोध को पूरा किया। परिवार के समर्थन ने उन्हें अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
भारतीय निशानेबाजी का भविष्य
मनु भाकर की इस उपलब्धि ने भारतीय निशानेबाजी को एक नई दिशा दी है। उनके प्रदर्शन ने युवा निशानेबाजों को प्रेरित किया है और यह साबित किया है कि मेहनत और समर्पण से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। भारतीय निशानेबाजी के भविष्य के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
Manu Bhaker की प्रेरणादायक बातें
Manu Bhaker का कहना है कि उन्होंने अपने हर प्रदर्शन में भगवद गीता से प्रेरणा ली है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के कर्म पर ध्यान केंद्रित करने के संदेश को अपने जीवन में अपनाया है। उनका मानना है कि अतीत को पीछे छोड़कर वर्तमान में जीना ही सफलता की कुंजी है।
मनु भाकर की उपलब्धियों की सूची
- आईएसएसएफ विश्व कप 2017 में स्वर्ण पदक
- कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में गोल्ड मेडल
- पेरिस ओलंपिक 2024 में ब्रोंज मेडल
भविष्य की योजनाएं
मनु भाकर की भविष्य की योजनाओं में अगले ओलंपिक और अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना शामिल है। उनका लक्ष्य है कि वे और भी अधिक मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन करें और निशानेबाजी में नई ऊंचाइयों को छूएं।
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Manu Bhaker की यह जीत न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। उनकी सफलता ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। उनकी इस उपलब्धि ने भारतीय खेल जगत में एक नई उम्मीद जगाई है।
हम सभी को मनु भाकर पर गर्व है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। उनकी यह यात्रा हमें सिखाती है कि मेहनत, समर्पण और दृढ़ता से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।