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पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 46 साल बाद खुला, BJP सरकार का ऐतिहासिक कदम

पुरी जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार का अद्भुत खुलासा, 46 साल बाद हुआ बड़ा निर्णय!
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ओड़िसा में BJP सरकार का बड़ा कदम: 46 साल बाद खोला गया पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार

पुरी, ओड़िसा – भगवान जगन्नाथ मंदिर का खजाना, जिसे रत्न भंडार कहा जाता है, 46 साल बाद फिर से खोला गया है। ओड़िसा की BJP सरकार ने इस ऐतिहासिक कदम के तहत मंदिर के अंदर मौजूद कीमती गहनों और अन्य वस्तुओं की सूची बनाने और उनकी मरम्मत करने का निर्णय लिया है। इस महत्वपूर्ण घटना ने मंदिर परिसर में नई हलचल मचा दी है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

पुरी का जगन्नाथ मंदिर 12वीं शताब्दी में बना था और यह हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को समर्पित है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं, विशेषकर रथ यात्रा के दौरान, जो एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है। मंदिर का रत्न भंडार हमेशा से ही रहस्यमय और महत्वपूर्ण रहा है, क्योंकि इसमें मंदिर के देवताओं के गहने और अन्य कीमती वस्तुएं रखी जाती हैं।

46 साल बाद खुला रत्न भंडार

रत्न भंडार को आखिरी बार 14 जुलाई 1985 में खोला गया था। इसके बाद से यह भंडार कभी नहीं खोला गया और उसकी चाबी भी गायब हो गई थी, जिससे काफी विवाद भी हुआ था। अब, 46 साल बाद, भाजपा सरकार ने इस भंडार को खोलने का निर्णय लिया है। इस महत्वपूर्ण कार्य में सरकार के प्रतिनिधि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारी​ समेत 11 लोग उपस्थित थे।

कीमती सामानों की सूची और सुरक्षा

इस बार, न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ खजाने में मौजूद कीमती सामानों की सूची की निगरानी कर रहे हैं। पंडित सिंघारी ने कहा कि देवताओं को कपड़े पहनाए जाने चाहिए, पूजा-अर्चना की जानी चाहिए और खजाने की रक्षा करने वाले नागों को खुश करने के लिए सपेरों को तैनात किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि खजाने की सुरक्षा बनी रहे और किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

पुरी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

पुरी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है। यह ओड़िसा की राजधानी भुवनेश्वर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ का जगन्नाथ मंदिर अपने अद्वितीय स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व के कारण विश्व प्रसिद्ध है। मंदिर का रत्न भंडार खोलने का निर्णय इस स्थल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को और भी बढ़ा देता है।

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पुरी के जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोलना न केवल ऐतिहासिक बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। 46 साल बाद इस खजाने को खोलने से मंदिर के प्राचीन इतिहास और संस्कृति की नई परतें सामने आएंगी। भाजपा सरकार के इस कदम ने एक बार फिर से इस पवित्र स्थल को चर्चा में ला दिया है और श्रद्धालुओं के लिए यह एक विशेष अवसर है। 


इस प्रकार, पुरी का जगन्नाथ मंदिर और उसका रत्न भंडार भारतीय संस्कृति और धार्मिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो आज 46 साल बाद फिर से अपने भक्तों के समक्ष खुला है |

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: पुरी का जगन्नाथ मंदिर कहाँ स्थित है?

उत्तर: पुरी का जगन्नाथ मंदिर ओड़िसा राज्य के पुरी शहर में स्थित है, जो भुवनेश्वर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है।

प्रश्न 2: रत्न भंडार क्या है?

उत्तर: रत्न भंडार भगवान जगन्नाथ मंदिर का खजाना है, जिसमें मंदिर के देवताओं के गहने और अन्य कीमती वस्तुएं रखी जाती हैं।

प्रश्न 3: रत्न भंडार को आखिरी बार कब खोला गया था?

उत्तर: रत्न भंडार को आखिरी बार 14 जुलाई 1985 में खोला गया था।

प्रश्न 4: रत्न भंडार को खोलने का निर्णय किसने लिया?

उत्तर: रत्न भंडार को खोलने का निर्णय भाजपा सरकार ने लिया है।

प्रश्न 5: रत्न भंडार को खोलने के समय कौन-कौन उपस्थित थे?

उत्तर: रत्न भंडार को खोलने के समय सरकार के प्रतिनिधि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारी, और श्री गजपति महाराज के प्रतिनिधि समेत 11 लोग उपस्थित थे।

प्रश्न 6: जगन्नाथ मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?


उत्तर: जगन्नाथ मंदिर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को समर्पित है और यह हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

प्रश्न 7: पुरी का महत्व क्या है?

उत्तर: पुरी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है। यह शहर बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित है और यहाँ का जगन्नाथ मंदिर अपने अद्वितीय स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व के कारण विश्व प्रसिद्ध है।

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