अयोध्या में बीजेपी की हार को लेकर राजू दास और डीएम के बीच तनातनी, मंत्री के सामने हुआ वाकया
अयोध्या में हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी की हार के बाद विवादों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास और जिलाधिकारी (डीएम) के बीच एक गर्मागर्म बहस का वाकया सामने आया है, जिससे पूरे शहर में सनसनी फैल गई है। इस विवाद के चलते जिला प्रशासन ने महंत की सुरक्षा हटा दी, जिस पर महंत राजू दास ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
बीजेपी की हार और विवादों का सिलसिला
अयोध्या में बीजेपी की हार के बाद से ही कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। लोग इस बात पर हैरान हैं कि 32 हजार करोड़ रुपये के बजट और भव्य राम मंदिर के बावजूद पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। महंत राजू दास ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि अधिकारियों की वजह से बीजेपी को यह हार झेलनी पड़ी।
अधिकारियों पर आरोप
महंत राजू दास ने कहा कि चुनाव के दौरान प्रशासन ने लोगों को मकान खाली करने और तोड़फोड़ के नोटिस दिए थे, जिससे जनता में नाराजगी बढ़ी। उन्होंने कहा, “जब चुनाव नजदीक थे, तब ऐसे नोटिस जारी करना उचित नहीं था। इससे लोगों के मन में असंतोष बढ़ा और वे हमसे दूर हो गए।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों का यह रवैया जनता के प्रति गैर-जिम्मेदाराना था।
मंत्री के सामने नोकझोंक
विवाद तब और बढ़ गया जब योगी सरकार के मंत्री सूर्य प्रताप शाही के सामने ही महंत राजू दास और डीएम के बीच तकरार हो गई। महंत ने अधिकारियों पर बीजेपी की हार का ठीकरा फोड़ा, जिसके बाद डीएम ने उनका विरोध किया। महंत का कहना है कि उनकी बातें अधिकारियों को बुरी लग गईं और इसी वजह से उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।
लोकतंत्र और अधिकारियों की जिम्मेदारी
महंत राजू दास ने कहा, “लोकतंत्र में इतने पढ़े-लिखे आईएएस और पीसीएस अधिकारियों को हमारी बात बुरी नहीं लगनी चाहिए। क्या हम अपनी बात भी नहीं कह सकते? क्या हमें इतना भी हक नहीं है कि हम कह सकें कि डीएम साहब यह काम ठीक नहीं हो रहा, इसे ठीक करें?” उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता राजा होती है और अधिकारी सेवक होते हैं।
सुरक्षा हटाने पर नाराजगी
महंत की सुरक्षा हटाए जाने पर उन्होंने गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “अगर मुझ पर कोई हमला होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। हम हिन्दुत्व के लिए, मोदी जी और योगी जी के लिए काम करते हैं। अगर यह उसकी सजा है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन अगर प्रशासन नहीं सुन रहा है तो वरिष्ठ अधिकारियों को इसका संज्ञान लेना चाहिए।”
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। लोग प्रशासन के रवैये की आलोचना कर रहे हैं और महंत राजू दास के समर्थन में खड़े हो रहे हैं।
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निष्कर्ष
अयोध्या में बीजेपी की हार के बाद उठे विवाद ने प्रशासन और जनता के बीच की खाई को उजागर कर दिया है। महंत राजू दास और डीएम के बीच की तनातनी ने यह साफ कर दिया है कि प्रशासनिक अधिकारियों को जनता की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और उनकी बातों को गंभीरता से लेना चाहिए। इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात रखने का हक है और अधिकारियों को इसे सम्मानपूर्वक सुनना चाहिए।