सावन का महीना आते ही देश भर में जगह जगह पर कावड़ यात्राएं निकलने लगती हैं और एक ऐसी ही कावड़ यात्रा की खबर हमीरपुर जिले के पतारा गांव से निकल कर आ रही है।
आपको बता दें कि दिनांक 9 अगस्त के दिन पतारा गांव के सदाशिव बाबा मंदिर से कानपुर के चंदन घाट के लिए कावड़ यात्रा निकाली गई थी जिसमें न्यूनतम 12 वर्ष से अधिकतम 45 वर्ष तक के लगभग 40 लोग सामिल थे।
यात्रा में सामिल लोग :-
पतारा गांव के सदाशिव बाबा मंदिर से प्रस्थान करने वाली इस कावड़ यात्रा में लगभग 40 लोग सामिल थे जिसको कन्हैया सिंह और कल्लू सविता के अध्यक्षता में आयोजित किया गया था। इस यात्रा में कन्हैया सिंह, कल्लू सविता, अखिलेंद्र सिंह, जगनायक सिंह, राधे गुप्ता, विशाल, अभिषेक, गोलू द्विवेदी समेत लगभग 40 लोग सामिल थे।
चंदन घाट से सदाशिव पहुंचा गंगा जल :-
यह यात्रा पतारा गांव से कानपुर के चंदन घाट के लिए निकाली गई थी। कानपुर के चंदन घाट से गंगा जल लाकर सदाशिव बाबा को अर्पित किया गया जिसके बाद कावड़ यात्रा में सामिल लोगों में और समस्त गांव के लोगों में खुशी का माहौल देखा गया।
हमीरपुर में किया गया कावड़ यात्रा का स्वागत :-
कानपुर के चंदन घाट से गंगा जल लाने वाली कावड़ यात्रा का हमीरपुर में डीजे और फूलों के साथ स्वागत किया गया। इस यात्रा में सामिल लोगों का स्वागत करने के लिए पतारा गांव के लोगों ने हमीरपुर पहुंचकर कावड़ यात्रा को ज्वाइन किया।
आपको बता दें कि दशरथ यादव, सौरभ सिंह, शिवम सिंह, किशन सिंह, जितेंद्र सिंह, अभिषेक सिंह समेत अन्य गांव के लोग हमीरपुर में कावड़ यात्रा का स्वागत करने पहुंचे। इस स्वागत यात्रा में डीजे-बाजे भी सामिल किए गए।
सदाशिव बाबा तक पहुंचा गंगा जल :-
12 अगस्त के दिन कावड़ यात्रा अपने निजगांव पतारा पहुंची और चंदन घाट से लाया गया गंगा जल सदाशिव बाबा को अर्पित किया गया। शिव जी को गंगा जल अर्पित करने के बाद कावड़ यात्रा में सामिल लोगों में खुशी देखी गई।
आपको बता दें की पिछले कुछ सालों पहले ही पतारा गांव में भी सावन माह में गंगा जल लाकर सदाशिव बाबा को अर्पित करने की प्रथा प्रारंभ की गई थी। हर साल इस यात्रा में लोग बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं यहां तक कि 12 साल के छोटे बच्चे तक 100 किलोमीटर से ज्यादा लंबी पैदल यात्रा में सामिल होते हैं।
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कांवड़ यात्रा की शुरुआत :-
पौराणिक कथा के अनुसार, कांवड़ यात्रा की शुरुआत ऋषि जमदग्नि के पुत्र भगवान परशुराम ने की थी। कथा के अनुसार, वे गढ़मुक्तेश्वर धाम से गंगाजल लेकर निकले थे और सीधे उत्तर प्रदेश के पुरा पहुंचकर भगवान शिव का अभिषेक किया था। ऐसा कहा जाता है कि इसी परंपरा को निभाने के लिए सावन के महीने में शिवभक्त कांवड़ यात्रा निकालकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।
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