हाल ही में बजट 2024 के बाद सरकार ने अचल संपत्ति (जमीन, मकान, प्लॉट आदि) से संबंधित कुछ नए नियम जारी किए हैं। इन नियमों का उद्देश्य टैक्स की चोरी रोकना और प्रॉपर्टी से होने वाली आय को बिजनेस इनकम में शामिल करना है। खासकर, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) पर नए नियम लागू किए गए हैं, जो संपत्ति बेचने पर टैक्स कैलकुलेशन के तरीके को बदल देते हैं।
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बजट 2024 में प्रॉपर्टी टैक्स के नियमों में बदलाव
बजट 2024 में सरकार ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए। इससे पहले, प्रॉपर्टी बेचने पर इंडेक्सेशन बेनिफिट मिलता था, जो महंगाई के असर को कम करके टैक्स की राशि को घटाता था। इस इंडेक्सेशन बेनिफिट के तहत, संपत्ति की वर्तमान मूल्य के बजाय इसे खरीदते समय की कीमत के आधार पर टैक्स की गणना की जाती थी। इससे प्रॉपर्टी बेचने वाले को टैक्स कम देना पड़ता था।
लेकिन बजट 2024 में सरकार ने इस इंडेक्सेशन बेनिफिट को हटा दिया था, जिससे प्रॉपर्टी बेचने वालों को अधिक टैक्स भरना पड़ता। यह निर्णय लोगों के लिए भारी पड़ा और सरकार के इस कदम का व्यापक विरोध हुआ।
सरकार की नई घोषणा: इंडेक्सेशन बेनिफिट वापस
लोगों के विरोध को देखते हुए, सरकार ने हाल ही में एक संशोधन पेश किया और इंडेक्सेशन बेनिफिट को वापस लागू कर दिया है। यह राहत उन लोगों के लिए है जिन्होंने 23 जुलाई 2024 से पहले संपत्ति खरीदी थी। फाइनेंस बिल 2024 में किए गए इस संशोधन के अनुसार, अब टैक्स पेयर्स को संपत्ति बेचने पर टैक्स चुकाने के लिए दो ऑप्शन मिलेंगे:
- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी): यह विकल्प उन लोगों के लिए है जो एक साल से अधिक समय तक प्रॉपर्टी रखते हैं। इसमें इंडेक्सेशन बेनिफिट लागू होगा और उन्हें सिर्फ इंडेक्सेशन के बाद की मूल्य पर ही टैक्स देना होगा।
- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी): यदि आप किसी प्रॉपर्टी को 12 महीने के अंदर बेचते हैं, तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा। इसमें इंडेक्सेशन बेनिफिट लागू नहीं होगा और इसपर 15% टैक्स लगेगा।
इंडेक्सेशन बेनिफिट का महत्व
इंडेक्सेशन एक प्रक्रिया है जिसमें महंगाई के आधार पर प्रॉपर्टी की कीमत को एडजस्ट किया जाता है। मान लीजिए आपने 2015 में ₹10 लाख में कोई प्रॉपर्टी खरीदी थी और 2024 में उसकी कीमत ₹15 लाख हो गई। इस बीच, महंगाई के कारण प्रॉपर्टी की कीमत में वृद्धि हुई। यदि आप इस प्रॉपर्टी को बेचते हैं, तो इंडेक्सेशन बेनिफिट के तहत, आपको सिर्फ उस मूल्य पर टैक्स देना होगा जो महंगाई से बढ़ी हुई कीमत से अधिक है।
बिना इंडेक्सेशन बेनिफिट के, आपको पूरी बढ़ी हुई कीमत पर टैक्स देना पड़ता, जिससे आपकी टैक्स लायबिलिटी बढ़ जाती। उदाहरण के तौर पर, अगर आप ₹16 लाख में प्रॉपर्टी बेचते हैं, तो बिना इंडेक्सेशन बेनिफिट के, आपको ₹6 लाख पर टैक्स देना पड़ता, जबकि इंडेक्सेशन के साथ सिर्फ ₹1 लाख पर ही टैक्स लगेगा।
शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में अंतर
- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी): अगर आप किसी प्रॉपर्टी, शेयर, या म्यूचुअल फंड को एक साल से अधिक समय तक रखते हैं और फिर बेचते हैं, तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है। इसपर 20% का टैक्स लगता है और इंडेक्सेशन बेनिफिट का फायदा मिलता है।
- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी): यदि आप किसी प्रॉपर्टी या शेयर को 12 महीने के अंदर बेचते हैं, तो इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है। इसपर 15% टैक्स लगता है, और इसे इनकम टैक्स के रूप में भी काउंट किया जाता है।
बजट 2024 के नए नियमों का असर
सरकार के नए नियमों से कई प्रॉपर्टी मालिकों को राहत मिली है। इंडेक्सेशन बेनिफिट की बहाली से अब लोग अपनी संपत्ति बेचने पर टैक्स की बड़ी रकम से बच सकेंगे। यह कदम उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिन्होंने 23 जुलाई 2024 से पहले संपत्ति खरीदी थी।
हालांकि, नई टैक्स रिजीम में इंडेक्सेशन बेनिफिट का फायदा नहीं मिलेगा, इसलिए टैक्स की दरें भी थोड़ी भिन्न हो सकती हैं। नई टैक्स रिजीम में लगभग 12.5% का टैक्स लगेगा, लेकिन इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा। वहीं, पुरानी टैक्स रिजीम में 20% टैक्स लगेगा, लेकिन इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा।
इंडेक्सेशन बेनिफिट के प्रभावी उदाहरण
इंडेक्सेशन के महत्व को समझने के लिए, एक उदाहरण लें। मान लीजिए किसी व्यक्ति ने 1990 में ₹5 लाख में कोई प्रॉपर्टी खरीदी थी। 2001 में इस प्रॉपर्टी की कीमत ₹10 लाख हो गई। अगर वह इसे 2024 में ₹1 करोड़ में बेचता है, तो बिना इंडेक्सेशन बेनिफिट के, उसे पूरी ₹1 करोड़ की वैल्यू पर टैक्स देना पड़ता। लेकिन इंडेक्सेशन बेनिफिट के तहत, उसे सिर्फ महंगाई से बढ़ी हुई कीमत पर ही टैक्स देना होता।
यहां तक कि अगर सरकार ने इंडेक्सेशन बेनिफिट को हटा दिया होता, तो टैक्स की राशि और भी अधिक होती। लेकिन राहत की बात यह है कि सरकार ने इस बेनिफिट को फिर से लागू कर दिया है, जिससे टैक्स पेयर्स को बड़ी राहत मिलेगी।
नई और पुरानी टैक्स रिजीम का अंतर
नई टैक्स रिजीम में टैक्स की दरें थोड़ी कम होती हैं, लेकिन इसमें कई तरह के बेनिफिट्स नहीं मिलते। वहीं, पुरानी टैक्स रिजीम में टैक्स दरें थोड़ी ज्यादा हैं, लेकिन इसमें इंडेक्सेशन और अन्य बेनिफिट्स का फायदा मिलता है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि इंडेक्सेशन बेनिफिट का फायदा सिर्फ 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टी पर ही मिलेगा। इसलिए, जिन लोगों ने इस तारीख से पहले प्रॉपर्टी खरीदी है, उन्हें पुरानी टैक्स रिजीम के तहत इंडेक्सेशन बेनिफिट का लाभ मिलेगा।
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बजट 2024 में सरकार ने प्रॉपर्टी और अचल संपत्ति से जुड़े टैक्स के नियमों में कई बदलाव किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य टैक्स चोरी को रोकना और प्रॉपर्टी से होने वाली आय को सही ढंग से टैक्सेशन के दायरे में लाना है। इंडेक्सेशन बेनिफिट की बहाली ने प्रॉपर्टी मालिकों को बड़ी राहत दी है, खासकर उन लोगों को जिन्होंने 23 जुलाई 2024 से पहले प्रॉपर्टी खरीदी थी।
सरकार के इस कदम से यह साफ हो गया है कि टैक्स प्रणाली में पारदर्शिता और न्यायसंगतता सुनिश्चित करने के लिए नए नियम लागू किए गए हैं। प्रॉपर्टी बेचने वालों के लिए यह समय है कि वे नए नियमों को समझें और टैक्स की योजना बनाएं ताकि वे अधिकतम लाभ उठा सकें। आखिरकार, यह सब आपकी संपत्ति की सुरक्षा और आपकी आय के सही प्रबंधन के लिए है।
जय हिंद, जय भारत, वंदे मातरम!