---Advertisement---

SEBI का नया फैसला: बिना मास्टर डिग्री के बनें स्टॉक मार्केट एनालिस्ट, जानें कैसे!

सेबी का नया फैसला
---Advertisement---

शेयर बाजार और निवेश की दुनिया में कुछ बड़े बदलाव होने जा रहे हैं, जो खासतौर पर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं जो स्टॉक मार्केट में करियर बनाने की सोच रहे हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है, जिससे स्टॉक मार्केट एनालिस्ट बनने के लिए आवश्यकताओं को आसान किया जा सके। इस कदम का मुख्य उद्देश्य मार्केट में रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट की संख्या को बढ़ाना है, ताकि निवेशकों को अधिक विश्वसनीय सलाहकार मिल सकें।

SEBI का नया प्रस्ताव: ग्रेजुएट्स के लिए सुनहरा मौका

पहले, स्टॉक मार्केट में रिसर्च एनालिस्ट बनने के लिए मास्टर डिग्री या पोस्ट ग्रेजुएशन की आवश्यकता होती थी। इसके अलावा, उम्मीदवारों के पास कम से कम पांच साल का वर्क एक्सपीरियंस होना अनिवार्य था। लेकिन अब SEBI ने इन नियमों को आसान बनाने का फैसला किया है। नए प्रस्ताव के अनुसार, अब केवल ग्रेजुएट्स भी स्टॉक मार्केट एनालिस्ट बनने के लिए पात्र होंगे।

SEBI ने इस महीने 6 अगस्त को एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया है, जिसमें इन बदलावों का जिक्र किया गया है। यह कदम उन छात्रों और युवाओं के लिए एक बड़ी राहत है, जो स्टॉक मार्केट में करियर बनाना चाहते हैं, लेकिन मास्टर डिग्री या वर्क एक्सपीरियंस की कमी के कारण पीछे रह जाते थे।

SEBI का नया फैसला

किसी भी जनकारी के लिए Whatsapp में जुड़ जाए

रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर की संख्या में बढ़ोतरी की जरूरत

भारत में इस समय केवल 961 रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर हैं, जो कि देश की विशाल जनसंख्या और बढ़ते निवेश के मुकाबले बेहद कम है। सेबी का मानना है कि रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर की संख्या में कमी के कारण लोग फर्जी सलाहकारों के झांसे में आ जाते हैं। इससे न केवल निवेशकों का नुकसान होता है, बल्कि पूरे मार्केट की विश्वसनीयता पर भी असर पड़ता है।

रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर वे प्रोफेशनल्स होते हैं, जो निवेशकों को उनके पैसे को कहां और कैसे निवेश करना है, इसकी सलाह देते हैं। सेबी द्वारा इनको रजिस्टर्ड किया जाता है, जिससे उनकी सलाह विश्वसनीय मानी जाती है। लेकिन संख्या में कमी के कारण निवेशक अक्सर अविश्वसनीय स्रोतों से सलाह लेने पर मजबूर हो जाते हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Stock Market Analyst बनने के लिए नए नियम

सेबी के नए नियमों के तहत, अब केवल ग्रेजुएट्स को स्टॉक मार्केट एनालिस्ट बनने का मौका मिलेगा। इसके लिए उन्हें किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से एक डिप्लोमा कोर्स करना होगा, जैसे कि नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज मार्केट या सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर।

पहले जहां मास्टर डिग्री और वर्क एक्सपीरियंस की अनिवार्यता थी, अब यह सब आसान कर दिया गया है। इसका मतलब है कि जो युवा इस क्षेत्र में रुचि रखते हैं, वे जल्द ही अपने करियर की शुरुआत कर सकते हैं। इसके अलावा, सेबी ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि हर साल लाइसेंस को रिन्यू कराने की अनिवार्यता को भी समाप्त किया जा सकता है।

फीस वसूलने के नियमों में भी बदलाव

सेबी ने सिर्फ एनालिस्ट बनने के नियमों में ही नहीं, बल्कि फीस वसूलने के नियमों में भी बदलाव करने की योजना बनाई है। फिलहाल, एक रिसर्च एनालिस्ट एक परिवार से फीस के तौर पर सालाना ₹1 लाख ले सकता है। यह फीस फिक्स्ड हो सकती है या फिर कुल एसेट की एक निश्चित वैल्यू के रूप में तय की जा सकती है।

लेकिन नए नियमों के तहत, यह संभव है कि फीस वसूलने के नियमों को भी आसान किया जाए। इससे एनालिस्ट को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी और वे अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकेंगे। इसके साथ ही, ग्राहकों के लिए भी यह प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सरल हो जाएगी।

एक्जाम की अनिवार्यता में ढील

सेबी ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि हर साल रिसर्च एनालिस्ट को अपने फाइनेंशियल प्लानिंग के सर्टिफिकेट को रिन्यू कराने के लिए जो एग्जाम देना पड़ता था, उसे भी हटाया जा सकता है। इसका मतलब है कि एनालिस्ट्स को बार-बार पेपर देने की जरूरत नहीं होगी, जिससे उनके ऊपर से एक बड़ा बोझ हट जाएगा।

यह कदम उन एनालिस्ट्स के लिए खास तौर पर राहत भरा है, जो पहले से ही इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं और उन्हें हर साल एग्जाम की तैयारी में समय और संसाधन खर्च करने पड़ते थे। अब उन्हें इन चीजों से मुक्ति मिल सकती है और वे अपने ग्राहकों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।

डिजिटल एजुकेशन: भविष्य का निवेश

सेबी का यह भी मानना है कि डिजिटल एजुकेशन और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से एनालिस्ट्स को प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाए। इससे न केवल युवाओं को आसानी से प्रशिक्षण प्राप्त हो सकेगा, बल्कि इस क्षेत्र में और अधिक प्रोफेशनल्स भी आ सकेंगे।

डिजिटल एजुकेशन की सुविधा से देश के दूरदराज इलाकों में रहने वाले लोग भी इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं, जो कि पहले संभव नहीं था। सेबी का यह कदम न केवल मार्केट के लिए, बल्कि देश के विकास के लिए भी एक सकारात्मक पहल है।

रजिस्टर्ड और अनरजिस्टर्ड एनालिस्ट्स के बीच का अंतर होगा कम

आजकल, कई लोग सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर खुद को स्टॉक मार्केट एनालिस्ट के रूप में पेश करते हैं, लेकिन वे सेबी द्वारा रजिस्टर्ड नहीं होते। इस वजह से निवेशक अक्सर भ्रमित हो जाते हैं और गलत फैसले ले लेते हैं।

सेबी के इस नए कदम का उद्देश्य रजिस्टर्ड और अनरजिस्टर्ड एनालिस्ट्स के बीच के अंतर को कम करना है, ताकि निवेशक केवल विश्वसनीय और रजिस्टर्ड एनालिस्ट्स की सलाह लें। इससे मार्केट में पारदर्शिता बढ़ेगी और निवेशकों को अधिक सुरक्षा मिलेगी।

RBI के 5 बड़े फैसले: जानें कैसे होगा आपकी जेब पर सीधा असर

निष्कर्ष: स्टॉक मार्केट में करियर के लिए बेहतर संभावनाएं

SEBI द्वारा उठाए गए ये कदम न केवल युवाओं के लिए करियर के नए दरवाजे खोलते हैं, बल्कि मार्केट में पारदर्शिता और विश्वास को भी बढ़ावा देते हैं। स्टॉक मार्केट एनालिस्ट बनने के लिए आवश्यकताओं में ढील और नए नियमों का प्रस्ताव उन लोगों के लिए सुनहरा मौका है, जो इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं।

डिजिटल एजुकेशन, फीस के नियमों में बदलाव, और रिन्यूवल की अनिवार्यता में ढील जैसे कदम सेबी के इस क्षेत्र को और भी आकर्षक बना रहे हैं। इससे न केवल युवाओं को फायदा होगा, बल्कि मार्केट में भी अधिक विश्वसनीय और प्रोफेशनल सलाहकारों की संख्या बढ़ेगी।

सेबी के इन प्रयासों से यह साफ है कि देश में वित्तीय जागरूकता और निवेश के क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा देना उसकी प्राथमिकता है। आने वाले समय में ये बदलाव न केवल निवेशकों के लिए, बल्कि पूरे मार्केट के लिए लाभदायक साबित होंगे।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Join WhatsApp

Join Now
---Advertisement---

Leave a Comment