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यूपी की राजनीति में राजा भैया का प्रभाव: बीजेपी और ठाकुरों के संबंधों का नया अध्याय

यूपी की राजनीति में मचा भूचाल
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उत्तर प्रदेश की राजनीति हमेशा से ही रोचक और उलझनों से भरी रही है। राजा भैया, जिन्हें रघुराज प्रताप सिंह के नाम से भी जाना जाता है, यूपी की राजनीति में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली शख्सियत हैं। हाल ही में बीजेपी और राजा भैया के बीच जो घटनाएँ हुईं, उन्होंने यूपी की सियासत में नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

योगी आदित्यनाथ और राजा भैया का संबंध: योगी आदित्यनाथ जब दिल्ली से लौटे और विधानसभा में पहुंचे, तब राजा भैया भी सदन में मौजूद थे। एक तस्वीर सामने आई जिसमें राजा भैया योगी आदित्यनाथ के पैर छूते हुए नजर आ रहे हैं। यह तस्वीर न केवल यूपी बल्कि पूरे देश में वायरल हो गई और खासतौर पर गृह मंत्री अमित शाह के फोन में भी भेजी गई। इस घटना के बाद यह सवाल उठता है कि क्या केंद्रीय नेतृत्व और योगी आदित्यनाथ के साथ राजा भैया के संबंध अलग-अलग हैं?

राजा भैया और बीजेपी का संबंध: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

राजा भैया के बारे में कहा जाता है कि वह बीजेपी के वफादार रहे हैं। कल्याण सिंह की सरकार के दौरान राजा भैया ने मायावती के विधायकों को बीजेपी के समर्थन में लाकर उनकी सरकार बनाई थी। तब से लेकर अब तक, राजा भैया ने राज्यसभा के लिए वोटिंग करवाई और बीजेपी के लिए समर्थन जुटाया। लेकिन, हाल ही में बीजेपी और राजा भैया के बीच आई दरार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

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अमित शाह और राजा भैया: एक अनकहा संवाद

अमित शाह ने राजा भैया को मनाने के लिए कई बार कोशिश की, लेकिन लोकसभा चुनाव में राजा भैया ने अखिलेश यादव की पार्टी का समर्थन कर दिया। इसके परिणामस्वरूप, बीजेपी को कौशांबी, प्रतापगढ़ और सुल्तानपुर जैसी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। अमित शाह ने बेंगलोर में राजा भैया को गुपचुप तरीके से मिलने के लिए बुलाया था, लेकिन यह मुलाकात भी कामयाब नहीं हो पाई।

ठाकुरों की नाराजगी और बीजेपी की हार

यूपी के ठाकुर नेता, जैसे कि संगीत सोम और राजा भैया, बीजेपी से नाराज थे और इसके परिणामस्वरूप बीजेपी को पूर्वांचल में भारी नुकसान हुआ। दिल्ली में एक तस्वीर वायरल हुई जिसमें योगी आदित्यनाथ को राजनाथ सिंह के बगल में खड़ा किया गया था, यह उन ठाकुरों के लिए एक संदेश था जो बीजेपी से नाराज हो रहे थे।

राजा भैया और योगी आदित्यनाथ: एक अनोखा संबंध

राजा भैया और योगी आदित्यनाथ का संबंध हमेशा से ही मधुर रहा है। राजा भैया ने योगी आदित्यनाथ का पैर छूकर आशीर्वाद लिया, चाहे वह महंत के तौर पर हो या सीनियर के तौर पर। इस संबंध को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि राजा भैया बीजेपी के साथ हो या ना हो, लेकिन योगी आदित्यनाथ के साथ जरूर हैं।

बीजेपी की रणनीति और चुनावी परिणाम

बीजेपी की रणनीति में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या केंद्रीय नेतृत्व और राज्य नेतृत्व के बीच सही तालमेल है? अमित शाह और राजनाथ सिंह ने राजा भैया को मनाने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। इसके परिणामस्वरूप, बीजेपी को लोकसभा चुनाव में कई महत्वपूर्ण सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।

राजा भैया के प्रस्ताव और बीजेपी की असफलता

राजा भैया ने दो प्रमुख प्रस्ताव रखे थे: पहला, प्रतापगढ़ की सीट जनसत्ता लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार को देना, और दूसरा, कैबिनेट में उन्हें जगह देना। लेकिन बीजेपी ने इन प्रस्तावों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया।

राजा भैया का पार्टी समर्थन और भविष्य की रणनीति

राजा भैया की पार्टी जनसत्ता लोकतांत्रिक पार्टी का भी अपना एक महत्वपूर्ण कद है। उनके पास भी दो विधायक हैं और राज्यसभा में वोटिंग करने की ताकत है। बीजेपी के दिल्ली नेतृत्व ने इस नजरिए को नहीं समझा, जबकि योगी आदित्यनाथ इसे अच्छी तरह समझते हैं।

समाजवादी पार्टी और योगी आदित्यनाथ

समाजवादी पार्टी के नेता भी योगी आदित्यनाथ को सदन में सुनना चाहते थे और उनसे मिलना चाहते थे। लेकिन, राजा भैया और योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें यह बताने के लिए काफी हैं कि बीजेपी अब भी अपने मास्टर गेम को नहीं खेल पाई है।

बीजेपी के लिए संदेश और भविष्य की रणनीति

बीजेपी को इस तस्वीर के माध्यम से यह संदेश मिल चुका है कि यूपी में ठाकुरों की नाराजगी को दूर करना बहुत जरूरी है। अगर ठाकुर बीजेपी से नाराज होते हैं, तो लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को भारी नुकसान हो सकता है।

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजा भैया की भूमिका हमेशा से ही महत्वपूर्ण रही है। बीजेपी और ठाकुरों के बीच के संबंधों में आई दरार ने बीजेपी के चुनावी परिणामों पर गहरा असर डाला है। योगी आदित्यनाथ और राजा भैया के संबंध इस बात का संकेत देते हैं कि बीजेपी को अपने नेतृत्व में तालमेल बिठाना होगा और ठाकुरों की नाराजगी को दूर करना होगा। अगर बीजेपी इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेती, तो आने वाले चुनावों में उसे और भी बड़े नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

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