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शिक्षकों के विरोध के आगे झुकी सरकार: डिजिटल अटेंडेंस का आदेश लिया वापस

छह लाख शिक्षक सड़कों पर, डिजिटल अटेंडेंस के विरोध में उठाई आवाज
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उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की डिजिटल उपस्थिति दर्ज करने के आदेश को वापस ले लिया है। यह निर्णय शिक्षकों के भारी विरोध और निरंतर प्रयासों के बाद लिया गया है। यह खबर उत्तर प्रदेश के शैक्षणिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, क्योंकि यह निर्णय शिक्षकों और सरकार के बीच संवाद की कमी को दर्शाता है।

डिजिटल अटेंडेंस की शुरुआत

उत्तर प्रदेश में परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति को डिजिटल रूप में दर्ज करने के लिए निर्देश जारी किए गए थे। इस पहल का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों की उपस्थिति को डिजिटल माध्यम से ट्रैक करना और उसमें पारदर्शिता लाना था। हालांकि, इस निर्णय को लागू करते समय शिक्षकों ने इसमें कई समस्याओं का सामना किया और उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया।

शिक्षकों का विरोध

प्रदेश के कई स्कूलों में शिक्षकों ने डिजिटल उपस्थिति दर्ज कराने का कड़ा विरोध किया। शिक्षकों ने हाथ में काली पट्टी बांधकर अध्यापन कार्य किया और विरोध जताया। शिक्षकों का कहना था कि यह निर्णय अव्यावहारिक है और इससे उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

टीचर्स महासभा का बयान

जूनियर हाईस्कूल शिक्षक महासभा की प्रांतीय संयोजक अनुग्रह त्रिपाठी ने बताया कि प्रदेश के सभी गणित और विज्ञान शिक्षकों से डिजिटल हाजिरी की व्यवस्था का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया था। बड़ी संख्या में शिक्षकों ने इस आह्वान का समर्थन किया और डिजिटल हाजिरी का बहिष्कार किया।

शिक्षा महानिदेशक के निर्देश

स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत सभी शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को प्रतिदिन अपनी उपस्थिति विद्यालय आगमन का समय डिजिटल उपस्थिति पंजिका में दर्ज करने के निर्देश जारी किए थे। यह निर्देश सुबह 7:45 से 8 बजे तक अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए थे। हालांकि, शिक्षकों के विरोध के बाद इस समय को बढ़ाकर सुबह 8:30 बजे तक कर दिया गया था।

शिक्षकों की समस्याएं

शिक्षकों ने इस प्रणाली के खिलाफ कई समस्याओं का उल्लेख किया। उनका कहना था कि दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी है, जिससे ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने में कठिनाई होती है। इसके अलावा, बारिश के मौसम में कई स्कूल पानी से घिरे रहते हैं, जिससे समय पर स्कूल पहुंचना मुश्किल हो जाता है। शिक्षकों ने यह भी आरोप लगाया कि यदि वे देर से पहुंचते हैं तो उन्हें अनुपस्थित मान लिया जाता है और उनकी छुट्टी काट ली जाती है।

विभाग की प्रतिक्रिया

शिक्षकों की नाराजगी को शांत करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने 30 मिनट का अतिरिक्त समय दिया था। विभाग ने बताया कि शिक्षकों की परेशानियों को देखते हुए यह समय बढ़ाया गया है, ताकि वे अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकें। इसके साथ ही, देर से पहुंचने के कारणों को भी दर्ज करने की आवश्यकता थी।

शिक्षकों की अन्य मांगें

शिक्षकों ने यह भी मांग की थी कि सरकार पुरानी पेंशन समेत उनकी सभी लंबित मांगों को माने। उनका कहना था कि अगर सरकार उनकी मांगों को मान लेती है, तो वे इस नई व्यवस्था को स्वीकार कर लेंगे। प्रदेश के कई जिलों जैसे सहारनपुर, प्रयागराज, अलीगढ़, गोंडा, झांसी आदि में शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन किया था।

आदेश वापस

शिक्षकों के भारी विरोध और प्रयासों के चलते, अंततः उत्तर प्रदेश सरकार ने डिजिटल अटेंडेंस के आदेश को वापस लेने का निर्णय लिया। यह निर्णय शिक्षकों और सरकार के बीच संवाद की कमी को दर्शाता है और यह जरूरी है कि भविष्य में ऐसे निर्णय लेते समय शिक्षकों की समस्याओं और सुझावों को ध्यान में रखा जाए।

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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा डिजिटल अटेंडेंस के आदेश को वापस लेना शिक्षकों की एक बड़ी जीत है। यह निर्णय शिक्षकों की एकजुटता और उनके संघर्ष को दर्शाता है। सरकार को भविष्य में ऐसे निर्णय लेते समय शिक्षकों की समस्याओं और सुझावों को ध्यान में रखना चाहिए ताकि शिक्षा प्रणाली में सुधार हो सके और शिक्षकों को बिना किसी समस्या के अपने कार्य को पूरा करने का अवसर मिल सके।

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