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डिजिटल इंडिया: UPI की बदौलत हर दिन 42 करोड़ ट्रांजैक्शंस!

90 times growth and dominance of UPI
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नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका स्टडी आईक्यू में, मेरा नाम है आदेश सिंह। आज हम बात करेंगे उस सफर की जिसने इंडिया को डिजिटल पेमेंट्स के क्षेत्र में दुनिया का चैंपियन बना दिया है। 2023 में, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से किए गए ट्रांजैक्शंस ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के डेटा के अनुसार, 2023 में UPI के माध्यम से 13,115 करोड़ ट्रांजैक्शंस हुईं, जिनकी वैल्यू 199.99 लाख करोड़ रुपये थी।

आरबीआई के गवर्नर, डॉ. शक्तिकांत दास ने हाल ही में बताया कि पिछले 12 सालों में इंडिया की रिटेल डिजिटल पेमेंट्स में 90 गुना वृद्धि हुई है। 2023 में, देश के डिजिटल पेमेंट्स में यूपीआई का हिस्सा 80 प्रतिशत से अधिक था। आज, UPI औसतन प्रतिदिन 42 करोड़ ट्रांजैक्शंस प्रोसेस कर रहा है। यह सभी आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि यूपीआई इंडिया की एक क्रांतिकारी नवाचार है जिसने देश को इस डोमेन का चैंपियन बना दिया है।

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JAM Trinity: डिजिटल क्रांति की नींव

इंडिया की डिजिटल क्रांति की नींव प्रेजेंट गवर्नमेंट की फेमस जैम ट्रिनिटी ने रखी थी। जैम यानी जनधन अकाउंट्स, आधार और मोबाइल, ये तीन पिलर्स हैं जिन्होंने देश के इकोनॉमिक इकोसिस्टम को पूरी तरह से बदल दिया है।

जनधन योजना: फाइनेंशियल इंक्लूजन की ओर पहला कदम

पीएम जनधन योजना का मकसद हर भारतीय वयस्क के पास एक बैंक अकाउंट का एक्सेस उपलब्ध कराना था। 2008 में, जब इंडिया में कुल 10 प्रतिशत लोगों के पास ही बैंक अकाउंट्स थे, तब आरबीआई ने एनपीसीआई (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) की स्थापना की। इसके बाद, आधार कार्ड की शुरुआत हुई, जिसने देश में पहचान सेवा को ट्रांसफॉर्म कर दिया। आधार आईडी ने बैंक अकाउंट्स की क्रिएशन को आसान बना दिया।

90 times growth and dominance of UPI

डिजिटल ट्रांजैक्शंस का प्रसार

2011 में, इंडिया में औसतन एक यूजर साल में कुल छह डिजिटल ट्रांजैक्शंस करता था। लेकिन वीजा और मास्टर कार्ड जैसे अंतरराष्ट्रीय जायंट्स भारतीय मार्केट को डोमिनेट करते थे। इनका कॉम्प्लेक्स सेटअप और हाई ट्रांजैक्शन चार्जेस भारतीय समाज के निचले तबके के बीच लोकप्रिय नहीं हो सका। इसको ध्यान में रखते हुए, एनपीसीआई ने 2012 में अपना रुपे कार्ड लॉन्च किया। इसके बाद 2014 में प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत जीरो बैलेंस अकाउंट्स खुलवाए गए।

मोबाइल और सस्ते इंटरनेट का प्रसार

सस्ते इंटरनेट और मोबाइल पेनिट्रेशन ने इंडिया के टेलीकॉम सेक्टर में क्रांति ला दी। 2016 में जियो की एंट्री ने इंटरनेट डाटा की कॉस्ट को 95 प्रतिशत तक कम कर दिया, जिससे हर भारतीय के पास सस्ते इंटरनेट का एक्सेस हो गया। इस रेवोल्यूशन ने ई-कॉमर्स, फूड डिलीवरी और ओटीटी कंटेंट जैसे वर्टिकल्स की ग्रोथ को बूस्ट किया।

UPI का उदय

2016 में एनपीसीआई ने यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लॉन्च किया। जैम ट्रिनिटी की मदद से इंडिया के पेमेंट्स इकोसिस्टम ने एक पैराडाइम शिफ्ट देखा। UPI ने देश के लाखों नागरिकों के लिए सिक्योर और सीमलेस डिजिटल ट्रांजैक्शंस की सुविधा प्रदान की।

डिमॉनेटाइजेशन और डिजिटल पेमेंट्स

डिमॉनेटाइजेशन के दौरान कैश की कमी ने डिजिटल ट्रांजैक्शंस को ह्यूज बूस्ट दिया। अक्टूबर 2016 में, यूपीआई ट्रांजैक्शंस की संख्या कुल 1,360 थी, जो 2017 तक 89 गुना बढ़कर 91,67,277 हो गई। इसी दौरान डिजिटल ट्रांजैक्शन की वॉल्यूम्स 43 प्रतिशत तक बढ़ी।

UPI के फायदे

यूपीआई की सबसे बड़ी खासियत इसकी सिंप्लिसिटी है। नेट बैंकिंग या कार्ड पेमेंट्स के मुकाबले, यूपीआई ट्रांजैक्शंस में कम स्टेप्स होते हैं और ये ज्यादा फास्ट और कन्वीनिएंट होते हैं। यूपीआई प्लेटफॉर्म पर बिना किसी एडिशनल केवाईसी प्रोसेस के फंड्स ट्रांसफर किए जा सकते हैं।

ई-वॉलेट्स के मुकाबले UPI

ई-वॉलेट्स में यूजर को पहले अपनी वॉलेट लोड करनी पड़ती है, जबकि यूपीआई में ऐसा कुछ नहीं करना पड़ता। ई-वॉलेट्स के मुकाबले यूपीआई की सिंप्लिसिटी और अफोर्डेबिलिटी इसे ज्यादा बेहतर ऑप्शन बनाती है।

एनवायरमेंटल बेनिफिट्स

यूपीआई का उपयोग पेपर नोट्स की जगह लेने से एनवायरमेंट कंजर्वेशन में भी बड़ा योगदान दे सकता है। पेपर नोट्स की प्रिंटिंग और मैनेजमेंट में हर साल 2.7 लाख करोड़ रुपये खर्च होते हैं। अगर इस ह्यूज मनी का एक हिस्सा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बूस्ट करने में लगाया जाए, तो इंडियन इकॉनमी को एक नए लेवल पर ले जाया जा सकता है।

ग्लोबल लेवल पर UPI

यूपीआई न केवल इंडिया के अंदर बल्कि ग्लोबल लेवल पर भी अपनी पहचान बना रहा है। फ्रांस सहित कई देश भारतीय यूपीआई मैकेनिज्म को अपना चुके हैं। यह सिस्टम अमेरिका में वीजा और मास्टर कार्ड के प्रभुत्व को चुनौती दे रहा है। यूपीआई की अफोर्डेबिलिटी और सिंप्लिसिटी इसकी सबसे बड़ी ताकत हैं।

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यूपीआई ने इंडिया को डिजिटल पेमेंट्स के क्षेत्र में दुनिया का चैंपियन बना दिया है। यह न केवल पेमेंट्स को आसान और सुरक्षित बनाता है, बल्कि इसे हर वर्ग के लोगों के लिए सुलभ भी करता है। यूपीआई की सफलता की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सही विजन और इम्प्लीमेंटेशन के साथ, कोई भी देश डिजिटल क्रांति में अग्रणी बन सकता है। इंडियन गवर्नमेंट की जैम ट्रिनिटी और यूपीआई का संयुक्त प्रयास, देश के फाइनेंशियल इकोसिस्टम को एक नई ऊंचाई पर ले गया है, और यह आने वाले वर्षों में भी इंडियन इकॉनमी को बूस्ट करता रहेगा।

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